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बेरोजगारी और अपराध का गहरा संबंध : भारत के भविष्य के लिए एक चेतावनी

21वीं सदी का भारत आर्थिक प्रगति की बात करता है, लेकिन वास्तविकता यह है कि आज देश का सबसे बड़ा संकट युवाओं में बेरोजगारी है। इस बेरोजगारी और अपराध के संबंध का सीधा असर नशे की प्रवृत्तियों पर दिखाई दे रहा है।


बेरोजगारी और अपराध: एक व्यवहारिक संबंध

बेरोजगार व्यक्ति आर्थिक रूप से असुरक्षित होता है। जब आजीविका का वैध मार्ग उपलब्ध नहीं होता, तब वह चोरी, ठगी, तस्करी, ब्लैकमेलिंग और साइबर अपराध जैसे रास्तों की ओर अग्रसर होता है।

NCRB 2023 की रिपोर्ट के अनुसार भारत में दर्ज 15% आर्थिक अपराध ऐसे व्यक्तियों द्वारा किए गए जो बेरोजगार थे।


नशे की गिरफ्त में युवा मन

बेरोजगारी के चलते पैदा हुआ मानसिक तनाव कई युवाओं को नशे की ओर धकेल रहा है। पंजाब, उत्तराखंड, झारखंड, और पूर्वोत्तर राज्यों में यह प्रवृत्ति अत्यंत खतरनाक रूप ले चुकी है।

एक रिपोर्ट के अनुसार, नशे से जुड़े अपराधों में 70% आरोपी बेरोजगार युवा थे (NDAI रिपोर्ट, 2023)।


सामाजिक असंतुलन और हताशा

पारिवारिक कलह: बेरोजगारी के कारण परिवारों में आर्थिक तनाव बढ़ता है, जिससे घरेलू हिंसा और तलाक की घटनाएं बढ़ती हैं।

सामाजिक अस्वीकृति: बेरोजगार युवा सामाजिक रूप से उपेक्षित महसूस करते हैं, जिससे वे चरम कदम उठा सकते हैं।


सांख्यिकीय प्रमाण

(स्रोत: CMIE, NCRB, MoSPI)


विशेषज्ञों की राय

“जब युवा काम नहीं करता, तो उसका मन खाली रहता है। वही खाली मन अपराध का घर बनता है।”
— डॉ. राजेश्वर पांडेय, समाजशास्त्री

“नशे की लत और बेरोजगारी का सीधा संबंध है। दोनों को साथ न रोका गया, तो हम सामाजिक विस्फोट की ओर बढ़ रहे हैं।”
— डॉ. मीनाक्षी भटनागर, मानसिक स्वास्थ्य विशेषज्ञ


समाधान की दिशा

कौशल विकास कार्यक्रम (Skill India, PMKVY)

स्थानीय स्तर पर रोजगार सृजन (MSME, Startup Schemes)

मानसिक स्वास्थ्य काउंसलिंग और पुनर्वास केंद्र

समुदाय-आधारित रोजगार योजनाएं (SHGs, FPOs)

शिक्षा प्रणाली में रोजगारोन्मुख बदलाव


नीति निर्माताओं के लिए चेतावनी

यदि युवाओं को काम नहीं दिया गया, तो आने वाला दशक अपराध और सामाजिक अव्यवस्था का दौर होगा। यह न केवल कानून व्यवस्था बल्कि राष्ट्रीय विकास के लिए भी खतरा है।


हमारी राय

बेरोजगारी, अपराध और नशा— ये केवल तीन शब्द नहीं, बल्कि उस वर्तमान भारत की त्रासदी हैं जो युवा ऊर्जा को खोता जा रहा है। यह समय है जब हमें रोजगार की मात्र नीति नहीं, बल्कि सामाजिक पुनर्निर्माण की समग्र रणनीति की आवश्यकता है।


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External:

CMIE Unemployment Data

NCRB Official Website

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