क्या वास्तव में 80% भारतीय ग्रेजुएट्स बेरोज़गार हैं ?. यह सवाल केवल एक आंकड़ा नहीं, बल्कि भारत की शिक्षा व्यवस्था, कौशल विकास और रोजगार नीति पर एक गंभीर टिप्पणी है .
2023-24 के एक आर्थिक सर्वेक्षण अनुसार, केवल 51.25% ग्रेजुएट्स ही रोजगार योग्य हैं.
तकनीकी क्षेत्र में हालात और खराब हैं – टीमलीज़ की रिपोर्ट के मुताबिक सिर्फ 15 लाख इंजीनियरिंग स्नातकों में से 10% ही नौकरी पा सके.
2019 के नेशनल एम्प्लॉयबिलिटी रिपोर्ट में भी पाया गया कि करीब 80% भारतीय इंजीनियरों में आवश्यक कौशलों की कमी है.
ये सभी तथ्य दर्शाते हैं कि शिक्षा और उद्योग के बीच व्यापक skill gap मौजूद है, जिसे दूर करने के लिए Skill India जैसी पहलों को और सुदृढ़ करने की जरूरत है।
मुख्य कारण: कौशल अंतर और व्यावहारिक प्रशिक्षण की कमी
- शिक्षा-उद्योग असंगति: भारत के अधिकांश पाठ्यक्रम सैद्धांतिक हैं और उद्योग की मौजूदा मांग के अनुरूप नहीं हैं।
- रिपोर्ट्स बताती हैं कि स्नातकों को इंटर्नशिप/प्रैक्टिकल अनुभव से जोड़ना चाहिए, क्योंकि अभी इनके बीच गहरा अंतर (skill gap) है।
- व्यावहारिक प्रशिक्षण का अभाव: अधिकतर विश्वविद्यालयों में प्रयोगशालाएं और उद्योग-केंद्रित परियोजनाएँ सीमित हैं।
- विशेषज्ञ कहते हैं कि व्यावहारिक प्रशिक्षण और इंटर्नशिप को पाठ्यक्रम का अनिवार्य हिस्सा बनाया जाए, ताकि छात्रों की दक्षता बढ़े।
- नवीन तकनीकी कौशलों की कमी: उभरती तकनीकों (जैसे AI, मशीन लर्निंग, साइबरसिक्योरिटी) के लिए विशेषज्ञों की मांग बढ़ी है.
- लेकिन पारंपरिक डिग्रीधारी इनमें प्रशिक्षित नहीं हैं. इस वजह से ‘skill gap in India’ लगातार गहरा होता जा रहा है।
- नरम कौशल एवं भाषा ज्ञान: अंग्रेजी कम्युनिकेशन, समन्वय और टीमवर्क जैसे कौशलों की कमी भी एक बड़ी बाधा है।
- कई स्नातक तकनीकी तो होते हैं लेकिन इंटरव्यू में अंग्रेजी बोलने की क्षमता न होने।
- या प्रेजेंटेशन स्किल का अभाव होने के कारण नौकरी पाने में पीछे रह जाते हैं।
सरकारी पहल और योजनाएँ
स्किल इंडिया मिशन एवं PMKVY:
मोदी सरकार ने 2015 में Skill India मिशन शुरू किया है.
जिसके तहत प्रधानमंत्री कौशल विकास योजना (PMKVY) जैसी कई योजनाएं हैं।
PMKVY के तहत 1.0 संस्करण में 19.86 लाख उम्मीदवार प्रशिक्षित हुए, और 2024 तक कुल 1.48 करोड़ से अधिक युवाओं को कौशल प्रशिक्षण प्राप्त हुआ है।
जन शिक्षण संस्थान (JSS) और पीएम विश्वकर्मा योजना:
ग्रामीण क्षेत्रों में जन शिक्षण संस्थान (JSS) योजनाएं चल रही हैं, जिन्होंने 4.29 लाख लाभार्थियों को प्रशिक्षण दिया है.
प्रधानमंत्री विश्वकर्मा योजना से कारीगरों को सहायता मिल रही है
जनवरी 2025 तक इस योजना के तहत 2.64 करोड़ से अधिक आवेदन प्राप्त हो चुके हैं और 27.01 लाख पंजीकरण सफल हुए हैं.
राष्ट्रीय अप्रेंटिसशिप ट्रेनिंग योजना (NATS) :
2023-24 में सरकारी अप्रेंटिसशिप लाभार्थियों की संख्या 8.5 लाख से पार हो गई है.
और NATS 2.0 पोर्टल शुरू किया गया है जिससे अप्रेंटिसशिप की प्रक्रियाएं आसान हुई हैं.
सरकार ने यह भी प्रस्तावित किया है कि अप्रेंटिसशिप प्रशिक्षण को औपचारिक क्रेडिट दिया जाए.
(NEP) 2020:
NEP-2020 के तहत सभी उच्च शिक्षा संस्थानों में व्यावसायिक (वोकेशनल) शिक्षा को शामिल करने का लक्ष्य है.
UGC और AICTE ने दिशा-निर्देश जारी किए हैं कि स्नातक डिग्री में न्यूनतम एक सेमेस्टर इंटर्नशिप/प्रैक्टिकल रखा जाए.
इसी प्रकार, उच्च शिक्षण संस्थानों के लिए अपस्किलिंग पाठ्यक्रमों का विकास किया जा रहा है.
जैसे ‘डेटा साइंस’ या ‘डिजिटल मार्केटिंग’ पर शॉर्ट टर्म सर्टिफिकेट कोर्स।
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के नेतृत्व में उत्तर प्रदेश सरकार ने कौशल विकास को प्रमुखता दी है.
उच्च स्तरीय बैठकों में 250 नए आईटीआई बनाने का प्रस्ताव रखा गया है.
UP कौशल विकास मिशन के तहत 1 लाख युवाओं को PMKVY प्रशिक्षण देने का लक्ष्य प्रस्तावित हुआ है.
साथ ही प्रधानमंत्री विश्वकर्मा योजना के अंतर्गत राज्य में 1 लाख से अधिक कारीगरों को प्रशिक्षण दिया जा चुका है.
जिससे श्रम बाजार को तैयार किया जा रहा है।
समाधान और सिफारिशें
व्यावहारिक प्रशिक्षण और इंटर्नशिप:
उच्च शिक्षा संस्थानों को कम से कम एक सेमेस्टर उद्योग-आधारित इंटर्नशिप के लिए आरक्षित करना चाहिए.
इससे छात्रों को वास्तविक कार्यस्थल का अनुभव मिलेगा और वे practical training in education की कमी को दूर कर सकेंगे.
उदहारण के लिए, UGC/NEP ने स्नातक डिग्री पाठ्यक्रम में इंटर्नशिप अनिवार्य करने के निर्देश दिए हैंeducation.gov.in.
शिक्षा-उद्योग सहयोग:
विश्वविद्यालयों को स्थानीय उद्योगों और कंपनियों के साथ साझेदारी बढ़ानी चाहिए।
इस तरह के गठजोड़ से कक्षा का सिलेबस उद्योग की मांग के अनुरूप बन सकेगा।
और कॉलेजों में प्रशिक्षण केंद्र/कार्यशाला खोलकर छात्रों को नए कौशल सिखाए जा सकते हैं.
कई विशेषज्ञ भी सलाह देते हैं कि अकादमिक पाठ्यक्रमों में उद्योग से जुड़े प्रशिक्षक शामिल करें।
और इंटर्नशिप/प्रोजेक्ट को अनिवार्य करने की दिशा में कदम बढ़ाने होंगे.
निरंतर कौशल विकास:
छात्रों को डिजिटल प्लेटफार्मों, ऑनलाइन कोर्सेस (MOOCs), और प्रमाणन कार्यक्रमों के माध्यम से भी नयी तकनीकी और soft skills सीखने के लिए प्रोत्साहित करना चाहिए.
शिक्षण संस्थानों में अंग्रेजी संचार, टीम वर्क और डिजिटल साक्षरता पर कार्यशालाएँ आयोजित की जानी चाहिए.
इससे स्नातकों की प्रतिभा और आत्मविश्वास में वृद्धि होगी.
नीतिगत सुधार:
सरकार को शिक्षा-प्रणाली में रिफॉर्म जारी रखने चाहिए।
उदहारण के लिए, कौशल विकास के लिए सार्वजनिक–निजी भागीदारी को बढ़ावा देना चाहिए और जो स्किल ट्रेनिंग संस्थान हैं उनकी गुणवत्ता जांचनी चाहिए.
उच्च शिक्षा नीति (NEP) के विज़न को लागू करने के लिए जागरूकता बढ़ानी चाहिए ताकि Indian graduates employability सुधार सके.
स्कूलों एवं कॉलेजों में कैरियर मार्गदर्शन कक्षाएँ और कौशल मेलों का आयोजन बढ़ाया जाना चाहिए.
निष्कर्षतः
इन पहलों और सुधारों से भारत का भारी जनाधार सहेजा जा सकता है।
इनसे Indian graduates employability बढ़ेगी और skill gap in India कम होगा।
जिससे youth unemployment India में कमी आएगी।
पाठ्यक्रमों में व्यावहारिक प्रशिक्षण पर जोर, शिक्षा-उद्योग तालमेल।
और लक्षित कौशल प्रशिक्षण से स्नातक बाजार की ज़रूरतों के लिए तैयार होंगे।
सरकारी योजनाओं के साथ युवाओं, शिक्षण संस्थानों और नीतिनिर्माताओं के समन्वित प्रयास द्वारा इस गहन समस्या का समाधान संभव है।
स्रोत: उपरोक्त सभी जानकारी विश्वसनीय समाचार और सरकारी रिपोर्टों पर आधारित है. (सभी आँकड़े ताज़ा सरकारी आंकड़ों और प्रतिष्ठित अध्ययनों द्वारा पुष्टि के साथ उद्धृत हैं.)

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