Real to Realization

In a world obsessed with appearance, speed, and noise—this space invites you to pause. “Real to Realization” is a journey from external chaos to internal clarity. Rooted in Indian spiritual traditions yet open to universal seekers, we explore the shift from the material to the meaningful, from mind to soul, from real to realization.

भारत में सेक्स पर संकीर्ण मानसिकता क्यों/

भारत में सेक्स पर संकीर्ण मानसिकता क्यों ? : तार्किक विश्लेषण

भारत में सेक्स पर संकीर्ण मानसिकता क्यों है? सेक्स, जीवन की मूल जैविक प्रक्रिया है—सिर्फ प्रजनन नहीं, बल्कि प्रेम, ऊर्जा और आत्म-साक्षात्कार का माध्यम है । फिर भी भारत जैसे देश में, जहाँ कामसूत्र रचा गया, अजन्ता-एलोरा की दीवारों पर कामकला चित्रित है, वहीं आज सेक्स शब्द बोलना भी अश्लील समझा जाता है। यह विरोधाभास […]

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प्रेम शारीरिक आकर्षण या आत्मिक अनुभूति

प्रेम केवल शारीरिक आकर्षण है या आत्मिक अनुभूति?

प्रेम केवल शारीरिक आकर्षण है या आत्मिक अनुभूति : प्रेम शब्द जितना छोटा है, उतना ही गहन, रहस्यमय और बहुआयामी। क्या प्रेम महज शारीरिक आकर्षण है? क्या यह एक हार्मोनल प्रतिक्रिया है? या यह आत्मा से आत्मा का मिलन है? ये प्रश्न सदियों से दार्शनिकों, संतों, वैज्ञानिकों और कवियों के चिंतन का विषय रहा है।

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A philosophical quote on sex as a means, not an end — displayed with gender and spiritual symbols on a balanced cream background.

सम्भोग एक साधन है साध्य नहीं है

सम्भोग एक साधन है साध्य नहीं है : भारत जैसे देश में जहां काम को धर्म, अर्थ और मोक्ष के समकक्ष पुरुषार्थों में गिना गया है. वहीं संभोग को लेकर द्वैत सोच आज भी गहराई से व्याप्त है। एक ओर यह वासना के रूप में कलंकित होता है, वहीं दूसरी ओर तांत्रिक साधना और कामसूत्र

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