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IMF द्वारा पाकिस्तान को लोन पर जयराम रमेश ने क्यों कहा “चिकेन आउट”

अन्तर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष अर्थात IMF द्वारा पाकिस्तान को लोन पर जयराम रमेश ने क्यों कहा “चिकेन आउट”

अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष (IMF) ने हाल ही में पाकिस्तान को $1 बिलियन का लोन देने की घोषणा की।

इस निर्णय ने अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर कई सवाल खड़े कर दिए।

खासकर भारत में, जहां पाकिस्तान द्वारा आतंकवाद को बढ़ावा देने के आरोप लगाए जाते रहे हैं.

अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष द्वारा इतनी बड़ी धनराशि का अनुदान एक महत्वपूर्ण मुद्दा बन गया।

IMF का निर्णय और भारत का रुख

IMF के बोर्ड में कुल 24 निदेशक होते हैं, जो सदस्य देशों का प्रतिनिधित्व करते हैं।

निर्णय प्रक्रिया में वोटिंग का विकल्प होता है, लेकिन इसमें ‘No’ में मतदान का विकल्प नहीं होता।

सदस्य देश केवल ‘Support’ या ‘Abstain’ कर सकते हैं।

इसीलिए भारत ने ‘Abstain’ का विकल्प चुना, जो एक प्रकार का विरोध ही था।

जयराम रमेश का बयान: राजनीति या अज्ञानता?

कांग्रेस के वरिष्ठ नेता जयराम रमेश ने ट्विटर पर सवाल उठाया:

“29 अप्रैल को, INC ने मांग की थी कि भारत IMF में पाकिस्तान को ऋण देने के खिलाफ मतदान करे। भारत ने केवल मतदान से दूरी बनाई। मोदी सरकार ने ‘चिकन आउट’ किया। एक मजबूत ‘ना’ एक शक्तिशाली संकेत देता।”

IMF की प्रक्रियाओं को न समझते हुए यह बयान न केवल भ्रामक है, बल्कि राजनीति से प्रेरित भी लगता है।

जयराम रमेश को यह समझना चाहिए था कि ‘No’ में मतदान करने का विकल्प IMF में उपलब्ध नहीं है।

IMF की प्रक्रिया क्या है?

IMF में किसी भी निर्णय पर मतदान के केवल दो विकल्प होते हैं:

  1. Support (समर्थन) – निर्णय का समर्थन करना।
  2. Abstain (मतदान से दूरी बनाना) – निर्णय का विरोध संकेतित करना।

भारत ने स्पष्ट रूप से ‘Abstain’ करते हुए अपना विरोध दर्ज कराया।

इससे यह स्पष्ट है कि भारत ने अपना रुख पूरी तरह से स्पष्ट किया।

अमेरिका की भूमिका

IMF में अमेरिका का सबसे बड़ा वोटिंग पावर है, लगभग 17%।

अगर अमेरिका चाहता, तो वह इस निर्णय को रोक सकता था।

लेकिन इस बार उसने ऐसा नहीं किया। इसके पीछे रणनीतिक कारण हो सकते हैं:

  1. अफगानिस्तान के मुद्दे पर पाकिस्तान की भौगोलिक स्थिति।
  2. चीन के बढ़ते प्रभाव को रोकने के लिए अमेरिका का पाकिस्तान से सामरिक संबंध बनाए रखना।

कांग्रेस का दुष्प्रचार

जयराम रमेश का बयान केवल राजनीतिक लाभ के उद्देश्य से दिया गया प्रतीत होता है।

IMF की प्रक्रियाओं को न समझते हुए, ‘चिकन आउट’ का आरोप कांग्रेस की मानसिकता को दर्शाता है.

कांग्रेस का यह रवैया भारत की अंतर्राष्ट्रीय छवि को नुकसान पहुंचा सकता है।

हमारी राय

IMF में भारत का विरोध प्रक्रियात्मक था, जो कि अंतर्राष्ट्रीय नियमों का पालन करते हुए दर्ज किया गया।

जयराम रमेश का बयान तथ्यों से परे और भ्रामक है।

राजनीति के नाम पर इस प्रकार के बयान न केवल जनता को गुमराह करते हैं.

बल्कि भारत की अंतर्राष्ट्रीय स्थिति को भी कमजोर बनाते हैं।

आपकी राय महत्वपूर्ण है!

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