इज़रायल

इज़रायल के ये अहसान भारत कैसे भूल सकता है?

इज़रायल के ये अहसान भारत कैसे भूल सकता है ?

इज़रायल के ये अहसान भारत कैसे भूल सकता है. भारतीय इतिहास के तीन सबसे निर्णायक और अस्तित्वपरक युद्ध—1965, 1971 और कारगिल युद्ध के पीछे कई ऐसे छिपे हुए सहयोगी रहे, जिन्होंने प्रत्यक्ष रूप से मंच पर न रहते हुए भी, पर्दे के पीछे से निर्णायक भूमिका निभाई। इनमें से एक सबसे महत्वपूर्ण और लगभग अनदेखा […]

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कांग्रेस नेतृत्व सरकारों की इज़रायल से दूरी का एक कड़वा सच

कांग्रेस नेतृत्व सरकारों की इज़रायल से दूरी का एक कड़वा सच

जवाहर लाल नेहरु से लेकर मनमोहन सिंह तक, कांग्रेस नेतृत्व सरकारों की इज़रायल से दूरी का कडवा सच क्या है? आइये इसको समझते हैं. भारत और इज़रायल—दो स्वतंत्र लोकतांत्रिक राष्ट्र—1947-48 में लगभग एक ही समय पर अस्तित्व में आए। एक नेहरू के नेतृत्व में गुटनिरपेक्षता की ओर चला, जबकि दूसरा पश्चिम समर्थित राष्ट्र बनकर उभरा।

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कट्टरपंथ और आतंकवाद के ख़िलाफ़ भारत का सच्चा दोस्त है इज़रायल

कट्टरपंथ और आतंकवाद के ख़िलाफ़ भारत की ढाल है इज़रायल

कट्टरपंथ और आतंकवाद के ख़िलाफ़ भारत का हमेशा से सच्चा दोस्त रहा है इज़रायल. इस लेख में हम विस्तार से देखेंगे कि कैसे भारत और इज़रायल की मित्रता सिर्फ रणनीतिक नहीं, बल्कि वैचारिक भी है। इज़रायल ने भारत के खिलाफ इस्लामिक कट्टरपंथ और आतंकवाद के विरुद्ध हमेशा एक स्पष्ट, दृढ़ और निर्णायक रुख अपनाया है

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