सेक्स

सैक्स जीवन की एक मूल जैविक प्रक्रिया है

Sex जीवन की मूल जैविक प्रक्रिया है : एक मनोवैज्ञानिक विश्लेषण

Sex जीवन की मूल जैविक प्रक्रिया है. Sex को अक्सर जैविक या सामाजिक दृष्टिकोण से देखा जाता है, लेकिन इसकी सबसे गहरी परत मनोविज्ञान से जुड़ी होती है। यह केवल यौन-इच्छाओं का ही प्रतिनिधित्व नहीं करता, बल्कि व्यक्ति की चेतना, आत्म-छवि, संबंधों की गुणवत्ता और मानसिक स्वास्थ्य का भी मूल आधार बनता है। इस लेख […]

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भारत में सेक्स पर संकीर्ण मानसिकता क्यों/

भारत में सेक्स पर संकीर्ण मानसिकता क्यों ? : तार्किक विश्लेषण

भारत में सेक्स पर संकीर्ण मानसिकता क्यों है? सेक्स, जीवन की मूल जैविक प्रक्रिया है—सिर्फ प्रजनन नहीं, बल्कि प्रेम, ऊर्जा और आत्म-साक्षात्कार का माध्यम है । फिर भी भारत जैसे देश में, जहाँ कामसूत्र रचा गया, अजन्ता-एलोरा की दीवारों पर कामकला चित्रित है, वहीं आज सेक्स शब्द बोलना भी अश्लील समझा जाता है। यह विरोधाभास

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A philosophical quote on sex as a means, not an end — displayed with gender and spiritual symbols on a balanced cream background.

सम्भोग एक साधन है साध्य नहीं है

सम्भोग एक साधन है साध्य नहीं है : भारत जैसे देश में जहां काम को धर्म, अर्थ और मोक्ष के समकक्ष पुरुषार्थों में गिना गया है. वहीं संभोग को लेकर द्वैत सोच आज भी गहराई से व्याप्त है। एक ओर यह वासना के रूप में कलंकित होता है, वहीं दूसरी ओर तांत्रिक साधना और कामसूत्र

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