“मेरे पापा ड्रम में हैँ” – लहू से लिखी एक मासूम की दास्तान

“जो चुप रहेगी ज़बान-ए-खंजर लहू पुकारेगा आस्तीन का” मेरठ की तंग गलियों में एक मासूम की आवाज़ गूंज रही थी— […]

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