पहलगाम प्रतिशोध : क्या भारत को ईरान की मध्यस्थता स्वीकार करनी चाहिए
भारत एक प्राचीन सभ्यता और आधुनिक लोकतंत्र है, जो अपनी विदेश नीति में रणनीतिक स्वायत्तता को सर्वोपरि मानता है। आज जब पश्चिम एशिया का भू-राजनीतिक परिदृश्य बदल रहा है, और ईरान जैसी शक्तियाँ “मध्यस्थता” की भूमिका निभाने का प्रस्ताव दे रही हैं, तब एक गंभीर प्रश्न उठता है —क्या भारत को ईरान की मध्यस्थता स्वीकार […]
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