हमारा देश एक धर्मनिरपेक्ष गणराज्य है, जिसकी नींव संविधान की उस प्रस्तावना पर आधारित है जिसमें “सेक्युलर” शब्द को स्पष्ट रूप से जोड़ा गया। लेकिन बीते वर्षों में भारतीय राजनीति और सामाजिक धारा में ऐसा परिवर्तन देखने को मिला है जो प्रश्न उठाता है – क्या भारत हिंदू राष्ट्र बनने की दिशा में बढ़ रहा है?
भारत का संवैधानिक ढांचा
हमारे देश का संविधान धर्मनिरपेक्षता की बात करता है। अनुच्छेद 25 से 28 तक हर नागरिक को धार्मिक स्वतंत्रता की गारंटी देता है।
स्रोत: भारत का संविधान (PDF)
राजनीतिक परिवर्तन और हिन्दुत्व की विचारधारा
2014 के बाद, भारतीय राजनीति में भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) और राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) की भूमिका और भी अधिक प्रभावशाली हुई है।
आरएसएस का घोषित उद्देश्य भारत को सांस्कृतिक रूप से “हिंदू राष्ट्र” बनाना है।
हाल ही में श्री राम जन्मभूमि मंदिर का निर्माण, समान नागरिक संहिता पर बहस, और लव जिहाद जैसे मुद्दों ने इस धारणा को और बल दिया है।
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सामाजिक प्रभाव
हमारे देश की जनसंख्या लगभग 80% हिंदू है। परंतु, अल्पसंख्यकों के अधिकार, स्वतंत्रता, और सुरक्षा को लेकर चिंता बढ़ी है। इससे वैश्विक स्तर पर भारत की सेक्युलर छवि प्रभावित हो रही है।
स्रोत: USCIRF रिपोर्ट
न्यायपालिका की भूमिका
देश की सर्वोच्च न्यायपालिका ने कई बार धर्मनिरपेक्षता को देश की मूल संरचना (Basic Structure Doctrine) के रूप में मान्यता दी है।
“SR Bommai बनाम भारत सरकार” जैसे केस इस दिशा में महत्वपूर्ण उदाहरण हैं।
हमारा विचार
भारत आधिकारिक रूप से अभी भी एक धर्मनिरपेक्ष राष्ट्र है. परंतु सामाजिक और राजनीतिक घटनाक्रमों को देखते हुए यह बहस तेज होती जा रही है, कि क्या भारत की पहचान धीरे-धीरे एक हिंदू राष्ट्र की ओर बढ़ रही है।
यह परिवर्तन केवल कानूनी नहीं बल्कि वैचारिक और सांस्कृतिक स्तर पर भी हो सकता है।
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1 thought on “क्या भारत हिंदू राष्ट्र बनने की ओर अग्रसर है?”