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भारत में आर्थिक असमानता और बेरोजगारी : बढ़ती खाई और भविष्य की चुनौती

Representation of India's economic inequality with rich and poor living side by side, symboli image showing disparity

परिचय

भारत एक तेजी से बढ़ती अर्थव्यवस्था है, लेकिन इसके समानांतर आर्थिक असमानता और बेरोजगारी भी गहरी होती जा रही हैं। अमीर और गरीब के बीच की खाई हर वर्ष चौड़ी हो रही है। साथ ही, बड़ी संख्या में शिक्षित युवा रोजगार के लिए संघर्ष कर रहे हैं। यह ब्लॉग इन दोनों विषयों का विस्तृत मूल्यांकन करता है — तथ्य, आंकड़े, कारण और समाधान सहित।

आर्थिक असमानता: आंकड़े और यथार्थ

Oxfam India की रिपोर्ट (2024) के अनुसार, भारत के केवल 1% सबसे अमीर लोगों के पास कुल संपत्ति का 40.5% हिस्सा है, जबकि निचले 50% के पास केवल 3% संपत्ति है।

बेरोजगारी की स्थिति

CMIE के अनुसार:

इसका मतलब है कि लाखों युवा हर साल डिग्री लेने के बाद भी बेरोजगार हैं या “अंडर-एम्प्लॉयड” हैं।

आर्थिक असमानता और बेरोजगारी के बीच संबंध

जब संसाधनों की पहुँच सीमित लोगों तक होती है, तो आर्थिक विकास का लाभ व्यापक स्तर पर नहीं पहुँचता। इसका परिणाम होता है:

कारण: समस्याओं की जड़ क्या है?

समाधान और संभावनाएँ

सरकार, निजी क्षेत्र और समाज — तीनों को एक साथ काम करना होगा:

  1. राष्ट्रीय कौशल नीति (NSDC) को और अधिक व्यावहारिक बनाना – NSDC Official Site
  2. रोज़गार सृजन को केंद्रित नीतियाँ: MSMEs को प्रोत्साहन देना – Labour Ministry
  3. शिक्षा प्रणाली में सुधार: industry-linked learning & apprenticeships
  4. टेक्नोलॉजी आधारित रोजगार सूचना: डिजिटल प्लेटफॉर्म्स के जरिए गांव-गांव में नौकरियों की सूचना
  5. शहरी MGNREGA जैसी योजनाएं: न्यूनतम आय की गारंटी सुनिश्चित करना

निष्कर्ष

भारत की जनसंख्या एक बड़ी शक्ति है, लेकिन यदि इसे शिक्षित, प्रशिक्षित और रोजगारयुक्त नहीं किया गया, तो यह बोझ बन सकती है। आर्थिक असमानता और बेरोजगारी केवल आंकड़ों की बात नहीं, बल्कि करोड़ों परिवारों की रोज़मर्रा की लड़ाई है। यह वक्त है – समावेशी और न्यायपूर्ण विकास को राष्ट्रीय एजेंडा बनाने का।

Sources:

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