क्या आपके चावल में आर्सेनिक ज़हर : एक तथ्यात्मक विश्लेषण
चावल भारतीय रसोई का अभिन्न हिस्सा है, लेकिन क्या आपने कभी सोचा है कि जो चावल आप रोज़ खाते हैं, वह आपके स्वास्थ्य के लिए ज़हर बन सकता है?
हाल ही में प्रकाशित अंतरराष्ट्रीय रिपोर्टों में बताया गया है कि जलवायु परिवर्तन के कारण चावल में आर्सेनिक का स्तर खतरनाक रूप से बढ़ रहा है, जिससे कैंसर जैसी गंभीर बीमारियों का खतरा उत्पन्न हो रहा है। आइए इस पूरे मुद्दे को वैज्ञानिक तथ्यों और व्यावहारिक समाधान के साथ समझें।
आर्सेनिक: क्या है यह ज़हरीला तत्व?
आर्सेनिक एक प्राकृतिक रासायनिक तत्व है जो ज़मीन, पानी और हवा में पाया जाता है। धान की खेती विशेष रूप से जलमग्न परिस्थितियों में की जाती है, जिससे चावल के पौधे आर्सेनिक को मिट्टी और सिंचाई जल से अवशोषित कर लेते हैं। यह प्रक्रिया खासकर उन क्षेत्रों में खतरनाक होती है जहां भूजल में आर्सेनिक की मात्रा पहले से ही अधिक होती है, जैसे पश्चिम बंगाल, असम, बिहार और बांग्लादेश।
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वैज्ञानिक चेतावनी: बढ़ती समस्या
यूके और यूएस के वैज्ञानिकों के अनुसार, जलवायु परिवर्तन के चलते वातावरण में कार्बन डाइऑक्साइड का स्तर बढ़ रहा है। इससे चावल के पौधों द्वारा आर्सेनिक अवशोषण की प्रक्रिया और तेज हो रही है। 2050 तक चीन और भारत जैसे देशों में लाखों लोगों के कैंसर जैसी बीमारियों से ग्रसित होने की संभावना जताई गई है।
स्वास्थ्य पर प्रभाव
लंबे समय तक आर्सेनिक युक्त चावल का सेवन निम्नलिखित बीमारियों से जुड़ा हुआ है:
- त्वचा, फेफड़े और मूत्राशय का कैंसर
- मधुमेह
- उच्च रक्तचाप और हृदय रोग
- बच्चों में मानसिक विकास में बाधा
- प्रजनन स्वास्थ्य संबंधी समस्याएं
सबसे प्रभावित क्षेत्र
भारत, बांग्लादेश, चीन, वियतनाम, म्यांमार और इंडोनेशिया जैसे देशों में यह खतरा अधिक पाया गया है क्योंकि यहां चावल प्रमुख भोजन है और भूजल में आर्सेनिक की मात्रा भी अधिक है।
क्या करें? कुछ व्यावहारिक समाधान
- अच्छी तरह धोना: चावल को पकाने से पहले 4-5 बार धोएं।
- अधिक पानी में पकाना: 1 भाग चावल को 6 भाग पानी में पकाएं और अतिरिक्त पानी निकाल दें।
- कम आर्सेनिक वाले चावल चुनें: जैसे बासमती या जैस्मिन चावल।
- स्रोत की जानकारी रखें: भरोसेमंद और प्रमाणित स्रोत से ही चावल लें।
- शरीर को डिटॉक्स करना: नींबू पानी, हल्दी और हरे पत्तेदार सब्ज़ियों का सेवन आर्सेनिक के प्रभाव को कुछ हद तक कम कर सकता है।
हमारी राय
चावल हमारे जीवन का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है, लेकिन बदलते पर्यावरणीय हालात और जलवायु परिवर्तन इसे हमारे स्वास्थ्य के लिए एक संभावित खतरे में बदल रहे हैं। यह ज़रूरी है कि हम जानकारी के साथ चुनाव करें, जागरूक रहें और अपने खाने की आदतों में छोटे-छोटे बदलाव करके बड़े खतरों से बचें।
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-यह लेख हाल ही में प्रकाशित रिपोर्टों और वैज्ञानिक अध्ययनों पर आधारित है, जो चावल में आर्सेनिक की बढ़ती मात्रा और उसके स्वास्थ्य पर प्रभाव को उजागर करते हैं।
WHO on Arsenic in Rice – World Health Organization