भारत की युवाशक्ति और राजनीतिक चेतना: लोकतंत्र की नई धारा
भारत विश्व का सबसे युवा देश है, जहां लगभग 65% जनसंख्या 35 वर्ष से कम आयु की है। यह जनसांख्यिकीय लाभांश केवल आर्थिक दृष्टि से नहीं, बल्कि सामाजिक और राजनीतिक चेतना के स्तर पर भी निर्णायक भूमिका निभा सकता है।
आज भारत की युवा शक्ति तकनीकी रूप से सशक्त, सूचना से परिपूर्ण और सामाजिक मुद्दों को लेकर जागरूक है। लेकिन क्या यह ऊर्जा राजनीति को नई दिशा देने में प्रयुक्त हो रही है?
🔹 राजनीतिक चेतना क्या है?
राजनीतिक चेतना का अर्थ है –
राजनीतिक व्यवस्था, सरकार, अधिकारों और कर्तव्यों को समझना, उस पर विचार करना और उसके सुधार हेतु सक्रिय होना।
इसका आशय केवल मतदान तक सीमित नहीं है, बल्कि यह विचारशील भागीदारी, जन संवाद, आंदोलन और नीति निर्माण में प्रभावी योगदान तक फैला है।
🔹 भारत की युवाशक्ति की राजनीतिक भूमिका: बदलता परिदृश्य
✅ सकारात्मक पहलू
- सोशल मीडिया के माध्यम से जागरूकता – छात्र और युवा आज ट्विटर ट्रेंड्स, इंस्टाग्राम रील्स, यूट्यूब डिबेट्स के माध्यम से राजनीतिक विमर्श में भाग ले रहे हैं।
- रोज़गार, शिक्षा, पर्यावरण जैसे मुद्दों पर स्पष्ट दृष्टिकोण – अब मुद्दा आधारित राजनीति का आग्रह तेज़ हुआ है।
- नए युवा राजनीतिक चेहरों का उदय – जैसे कि तेजस्वी यादव, हार्दिक पटेल, ईशान्य क्षेत्र में युवा एक्टिविस्ट्स आदि।
- छात्र आंदोलनों का पुनर्जागरण – JNU, BHU, Jadavpur जैसी यूनिवर्सिटी में बहस और विचार का वातावरण।
❌ चुनौतियां
- राजनीति से मोहभंग – भ्रष्टाचार, वंशवाद और अवसरवादिता से युवा वर्ग उदासीन हो सकता है।
- कट्टरता और अफवाहों का शिकार – डिजिटल युग में गलत सूचनाएं युवाओं को भ्रमित कर सकती हैं।
- राजनीतिक शिक्षा का अभाव – स्कूली पाठ्यक्रमों में लोकतंत्र की व्यावहारिक समझ नहीं दी जाती।
🔹 भारत की युवाशक्ति की राजनीतिक चेतना कैसे बढ़ाई जाए?
- शिक्षा प्रणाली में नागरिक अध्ययन को शामिल करना
- कॉलेजों में चुनाव और डिबेट कल्चर को प्रोत्साहित करना
- युवाओं को ग्रामसभा/नगर परिषद बैठकों में भाग लेने के लिए प्रेरित करना
- मीडिया साक्षरता अभियान चलाना – ताकि वे सही-गलत में फर्क समझें
- राजनीतिक दलों द्वारा युवाओं को उचित मंच देना
🔹 “मतदाता नहीं, नीति निर्माता बनो” – नई दिशा की आवश्यकता
भारत के युवाओं को सिर्फ वोटर या भीड़ नहीं, बल्कि नीति निर्माता, सोशल इनोवेटर और लोकतांत्रिक प्रहरी बनना होगा। इसके लिए जरूरी है –
- नवाचार आधारित सोच
- सांस्कृतिक समझ
- संविधानिक मूल्यों में आस्था
🔹 निष्कर्ष: युवा ही लोकतंत्र का भविष्य हैं
“यदि युवा राजनीति से विमुख होंगे, तो राजनीति उन्हें नियंत्रित करेगी – वो चाहे जैसे भी हो।”
भारत की युवा शक्ति को केवल तकनीकी कौशल तक सीमित रखना, उसके लोकतांत्रिक योगदान को कम आंकना होगा। यदि यह शक्ति राजनीतिक रूप से प्रशिक्षित, जागरूक और संगठित हो, तो यह राष्ट्र के भविष्य को निर्णायक दिशा दे सकती है।
✅ Suggested Internal Links (www.dayalunagrik.com):
Election Commission of India – National Voter Services Portal