सत्ता और विपक्ष धर्म को अफीम की तरह……

जर्मनी के महान दार्शनिक और चिंतक कार्ल मार्क्स ने धर्म को लेकर कहा था – “Religion is the opium of the people”. अर्थात धर्म लोगों के लिए अफ़ीम है।

दूसरे शब्दों में कहें तो कार्ल मार्क्स का यह मानना था कि धर्म एक आम इंसान के लिए वास्तव में अफ़ीम का काम करता है।

हालांकि मैं स्वयं मार्क्सवादी विचारधारा से पूर्णतः सहमत कभी नहीं हुआ, और शायद कभी हो भी नहीं सकता। परंतु भारत की आधुनिक राजनीति के परिप्रेक्ष्य में देखा जाए, तो वास्तव में धर्म को अफ़ीम की तरह ही इस्तेमाल किया जा रहा है।

दरअसल अफ़ीम की एक ख़ास बात यह होती है कि अफ़ीम का नशा करने के पश्चात व्यक्ति को अपने दर्द का एहसास बहुत कम होता है।
ठीक इसी प्रकार, एक साधारण और आम इंसान को धर्म का नशा जब चढ़ता है तो वह अपने वास्तविक दुःख -दर्द को कुछ समय के लिए भूल जाता है।

आज स्थिति कमोवेश ठीक ऐसी ही है। भारत की आम जनता महंगाई, बेरोजगारी, काला बाजारी, और भ्रष्टाचार के दर्द को धर्म के नशे में भुला बैठी है।

नित्य नए – नए करों (Tax) के बोझ के नीचे दबकर कराह रही आम जनता पर जब GST का चाबुक पड़ता है, तो उसकी उस पीड़ा को, उसके दर्द को धर्म की अफ़ीम सुंघाकर कम करने का हर संभव प्रयास किया जाता है।

ऐसा नहीं है कि केवल सत्ता पक्ष या एक पार्टी विशेष ही धर्म की अफ़ीम के इंजेक्शन लगा रही है, अपितु विपक्ष भी अपने दोनों हाथों में तुष्टिकरण और धर्म विशेष के इंजेक्शन लिए लोगों की भावनाओं से खेलता नज़र आ रहा है।

भारतीय समाज की मनोदशा की सबसे बड़ी विडंबना यह है कि यहां पर “नियतिवाद” अर्थात भाग्यवाद को प्रधानता दी जाती है। अर्थात जो कुछ भी हो रहा है, वह तो पहले से ही निर्धारित है।

ग़रीब, कमज़ोर और लाचार इंसान अपनी पूरी ज़िन्दगी का दर्द केवल इन शब्दों के “मरहम” से ही मिटाता रहता है, कि उसके भाग्य में यही लिखा था।

यहां उल्लेखनीय है कि भारतीय दर्शन का सबसे महत्वपूर्ण दर्शन और हिन्दू सनातन आस्था का प्रतीक पवित्र भगवद्गीता इसके ठीक विपरीत संदेश देती है।

भगवद्गीता का दर्शन कर्म को प्रधान मानता है, न कि भाग्य अथवा नियति को प्रधान मानता है।

परंतु भारतीय जनमानस को धर्म की जिस अफ़ीम के सहारे छोड़ दिया गया है, वह उसे केवल और केवल मंदिर/मस्जिद/गुरुद्वारा/चर्च आदि में ही उलझाकर रखे हुए है।

किसी को भी अपने भविष्य की चिंता नहीं है, अपितु गड़े हुए मुर्दों को देखने को प्रत्येक व्यक्ति आतुर नज़र आता है।

मनोज चतुर्वेदी शास्त्री
समाचार – संपादक
उगता भारत
नोएडा से प्रकाशित
हिंदी समाचार पत्र

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