ग्रेटा थनबर्ग भेड़ की खाल में भेड़िया है. इसका सच जानने के बाद आपके रोंगटे खड़े हो जायेंगे.
ग्रेटा थनबर्ग वही है जो किसान आन्दोलन के समय भारत विरोधी टूलकिट गैंग की प्रमुख रह चुकी हैं.
हाल ही में ग्रेटा को इजरायली सेना ने उस समय गिरफ्तार किया जब वह गाज़ा आतंकियों के लिए रसद ले जा रही थी.
भारत में किसान आंदोलन के दौरान साझा की गई ‘टूलकिट’, और बार-बार भारत की संप्रभुता पर हमला.
इन सब घटनाक्रमों के पीछे छिपा एक नाम जो सर्वाधिक चर्चा में रहा, वह था ग्रेटा थनबर्ग.
हाल ही में गाजा उग्रवादियों को रसद पहुँचाने का हरसम्भव प्रयास करने के लिए बाद यह पूरी तरह स्पष्ट हो चुका है, कि ग्रेटा थनबर्ग कोई समाजसेवी नहीं है.
अलबत्ता आतंकी समर्थक और भारत विरोधी एजेंडे की संचालक सदस्य भी मानी जा सकती है.
ये सभी घटनाएं एक गंभीर और सोची-समझी वैश्विक रणनीति की ओर इशारा करती हैं।
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1. ग्रेटा थनबर्ग: एक संक्षिप्त परिचय
स्वीडन की ग्रेटा थनबर्ग ने 2018 में ‘Fridays for Future’ अभियान से पर्यावरण के लिए वैश्विक जनमत बनाने की शुरुआत की।
संयुक्त राष्ट्र में उनके आक्रामक भाषण, बड़े-बड़े नेताओं को शर्मिंदा करने वाला रवैया,
और युवा भावनाओं को भुनाने की शैली ने उन्हें जल्द ही एक वैश्विक प्रतीक बना दिया।
2. किसान आंदोलन में हस्तक्षेप और टूलकिट विवाद
2021 में भारत में कृषि कानूनों के खिलाफ हो रहे आंदोलन के दौरान ग्रेटा ने एक टूलकिट ट्वीट किया था.
जिसमें भारत सरकार की छवि धूमिल करने की रणनीति थी।
इस टूलकिट में सोशल मीडिया कैंपेन चलाने, वैश्विक प्रदर्शन आयोजित करने और अंतरराष्ट्रीय संस्थाओं पर भारत के खिलाफ दबाव बनाने की योजना थी।
3. टूलकिट का विश्लेषण: केवल समर्थन या साजिश?
इस टूलकिट में दर्ज बिंदु जैसे #AskIndiaWhy, दूतावासों के बाहर विरोध प्रदर्शन, भारत को “फासीवादी सरकार” कहने की स्क्रिप्ट.
यह केवल जनसमर्थन नहीं था, बल्कि एक सुनियोजित साजिश थी जो भारत की आंतरिक राजनीति को प्रभावित करना चाहती थी।
4. गाज़ा विवाद: आतंक के साथ सहानुभूति?
2024 के अंत में आईं रिपोर्ट्स के अनुसार ग्रेटा थनबर्ग गाज़ा में कथिततौर पर आतंकवादियों के समर्थन में थीं।
इस दौरान उन्होंने इजरायल विरोधी बयानों के साथ-साथ हमास से सहानुभूति जताने वाली भाषा का उपयोग किया।
इजरायल की सेना ने उन्हें पूछताछ के लिए हिरासत में लिया।
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5. क्या ग्रेटा थनबर्ग को मानवाधिकार की चिंता है?
ग्रेटा अपने हर बयान को ‘मानवाधिकार’ के आवरण में प्रस्तुत करती हैं.
लेकिन उनके समर्थन अक्सर ऐसे संगठनों और आंदोलनों को मिलते हैं जो भारत विरोधी,
इजरायल विरोधी और पश्चिमी सभ्यता विरोधी एजेंडों के साथ जुड़े होते हैं।
6. भारत और इजरायल जैसे राष्ट्रों को निशाना क्यों?
भारत और इजरायल दोनों ही स्वतंत्रता, सुरक्षा और आंतरिक नीति में दृढ़ता के लिए जाने जाते हैं।
यह राष्ट्र वामपंथी वैश्विक नेटवर्क के लिए ‘प्रतिरोध के प्रतीक’ बन चुके हैं।
इसलिए ऐसे राष्ट्रों को बदनाम करने, उनके खिलाफ इंटरनेशनल नैरेटिव बनाने,
और वहां असंतोष फैलाने के लिए ग्रेटा जैसे चेहरों का इस्तेमाल होता है।
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7. टूलकिट गैंग: दिशा रवि से वैश्विक गिरोह तक
भारत में दिशा रवि जैसी युवती को गिरफ्तार किया गया जो ग्रेटा के टूलकिट मामले में सह-आरोपी थी।
इस मामले की जांच में सामने आया कि यह टूलकिट कनाडा, अमेरिका और ब्रिटेन से संचालित नेटवर्क से जुड़ा हुआ था।
8. सोशल मीडिया और वैश्विक एजेंडा
ग्रेटा का सोशल मीडिया अभियानों में इस्तेमाल अब एक ट्रेंड बन चुका है।
जलवायु परिवर्तन जैसे गंभीर विषय को भारत विरोध के औजार के रूप में उपयोग करना न केवल अनैतिक है, बल्कि उनके कार्यकर्ता चरित्र पर भी प्रश्न उठाता है।
9. भारत की प्रतिक्रिया: संयम और सतर्कता
भारत ने इन घटनाओं को गंभीरता से लिया और अंतरराष्ट्रीय मंचों पर भी अपनी स्थिति स्पष्ट की।
भारत के विदेश मंत्रालय ने स्पष्ट किया कि बाहरी हस्तक्षेप भारत की संप्रभुता का उल्लंघन है और इसे स्वीकार नहीं किया जा सकता।
हमारी राय
ग्रेटा थनबर्ग अब केवल पर्यावरण कार्यकर्ता नहीं रहीं।
उनका चेहरा अब वैश्विक वामपंथी एजेंडे, भारत विरोधी प्रचार और अंतरराष्ट्रीय साजिशों में एक परिचित चेहरा बन चुका है।
कुल मिलाकर अगर यह कहा जाये कि ग्रेटा थनबर्ग भेड़ की खाल में भेड़िया है, तो कोई अतिशयोक्ति नहीं होगी.
भारत को चाहिए कि वह डिजिटल डिप्लोमेसी को मजबूत करे.
टूलकिट जैसे साइबर अभियानों का जवाब तथ्यों और दृढ़ नीतियों से दे.
और ऐसे अंतरराष्ट्रीय चेहरों की वास्तविकता को जनता के सामने लाए।
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