कट्टरपंथ और आतंकवाद के ख़िलाफ़ भारत का हमेशा से सच्चा दोस्त रहा है इज़रायल.
इस लेख में हम विस्तार से देखेंगे कि कैसे भारत और इज़रायल की मित्रता सिर्फ रणनीतिक नहीं, बल्कि वैचारिक भी है।
इज़रायल ने भारत के खिलाफ इस्लामिक कट्टरपंथ और आतंकवाद के विरुद्ध हमेशा एक स्पष्ट, दृढ़ और निर्णायक रुख अपनाया है
जबकि इस्लामिक राष्ट्र या तो चुप्पी साधे रहते हैं या उपदेश देते हैं ।
इज़रायल एकमात्र राष्ट्र है, जो भारत की आवाज़ को अन्तर्राष्ट्रीय स्तर पर अपना समर्थन देता है,
जो कहता है—”तुम्हारा दुश्मन, हमारा दुश्मन”।
इस्लामिक कट्टरपंथ एक वैश्विक संकट और मुस्लिम देशों की भूमिका
ऐतिहासिक चरित्र की बात:
भारत और इज़रायल के संबंध आज जितने प्रगाढ़ हैं, उतने पहले नहीं थे।
1948 में इज़रायल की स्थापना हुई, और भारत ने 1950 में औपचारिक रूप से इसे मान्यता दी।
परंतु भारत लंबे समय तक अरब राष्ट्रों और इस्लामिक विश्व के दबाव में रहा।
नेहरू युग:
- भारत ने इज़रायल को तो मान्यता दी, लेकिन पूर्ण राजनयिक संबंध नहीं बनाए।
- भारत फिलिस्तीन के समर्थन में खड़ा रहा, जबकि इज़रायल को एक “अवसरवादी पश्चिमी गुट” का हिस्सा माना गया।
बदलाव की शुरुआत:
- 1992 में, नरसिम्हा राव सरकार ने इज़रायल के साथ पूर्ण राजनयिक संबंध स्थापित किए।
- यह वह दौर था जब भारत को वैश्विक मंच पर नए सहयोगियों की आवश्यकता थी।
निर्णायक मोड़ – नरेंद्र मोदी युग:
- 2017 में PM मोदी इज़रायल जाने वाले पहले भारतीय प्रधानमंत्री बने।
- इसके बाद, सैन्य, कृषि, साइबर, और ख़ुफ़िया क्षेत्रों में अभूतपूर्व सहयोग बढ़ा।
- PM नेतन्याहू ने भी भारत यात्रा की और दोनों नेताओं की दोस्ती रणनीतिक संबंधों को वैचारिक भाईचारे में बदलती गई।
भारत को इज़रायल से क्या सीखना चाहिए और क्यों?
भारत-इज़रायल सहयोग: सिर्फ रक्षा नहीं, विचारों का युद्ध
1. सैन्य सहयोग:
- भारत की अधिकांश आधुनिक रक्षा प्रणाली जैसे Barak-8 मिसाइल, Spike एंटी-टैंक गाइडेड मिसाइल,
- और Heron UAV इज़रायली तकनीक पर आधारित है।
- दोनों देशों के विशेष बल आतंकवाद विरोधी प्रशिक्षण में सहयोग करते हैं।
2. खुफिया एजेंसियों का गुप्त गठजोड़:
- RAW और Mossad के बीच गुप्त सूचनाओं का आदान-प्रदान वर्षों से चल रहा है।
- मुंबई हमलों के बाद इज़रायल ने भारत को आतंक-निरोधी रणनीतियों में तकनीकी और रणनीतिक मदद दी।
3. कृषि और जल प्रबंधन:
- इज़रायल ने सूखा प्रभावित भारतीय राज्यों में ड्रिप इरिगेशन, जल पुनर्चक्रण और खेती में वैज्ञानिक विधियों का प्रसार किया।
जब पूरी OIC मौन था, तब इज़रायल बोला:
पुलवामा हमला:
जब 2019 में पाकिस्तान समर्थित आतंकी संगठन जैश-ए-मोहम्मद ने पुलवामा में CRPF के 40 जवानों को शहीद किया,
तब OIC (इस्लामिक देशों का संगठन) मौन था।
लेकिन इज़रायल ने तुरंत पाकिस्तान को आड़े हाथों लिया और भारत के आत्मरक्षा अधिकार का समर्थन किया।
संयुक्त राष्ट्र में समर्थन:
कश्मीर पर जब पाकिस्तान ने UNHRC में भारत के खिलाफ बयानबाजी की,
तो इज़रायल ने भारत के पक्ष में वोट किया, जबकि कई इस्लामिक देश भारत की आलोचना करते रहे।
पैगंबर टिप्पणी विवाद (2022):
जब कुछ भारतीय नेताओं की टिप्पणियों को लेकर इस्लामिक देशों ने भारत के दूतों को तलब किया,
इज़रायल ने चुप्पी साधी और भारत की आतंरिक प्रक्रिया में हस्तक्षेप नहीं किया।
क्या भारत को इस्लामिक राष्ट्र बनाने का कोई षड्यंत्र चल रहा है?
कट्टरपंथ के खिलाफ इज़रायल की नीति:
इज़रायल का स्पष्ट मानना है कि आतंकवाद का कोई धर्म नहीं,
लेकिन अधिकतर आतंकवादी इस्लामिक जिहादी मानसिकता से प्रेरित हैं।
- इज़रायल ने हिजबुल्लाह, हमास, ईरान समर्थित गुटों को दुनिया के सबसे बड़े खतरे कहा है।
- भारत के सामने हिजबुल मुजाहिद्दीन, लश्कर-ए-तैयबा, जैश-ए-मोहम्मद जैसी जिहादी मानसिकता भी इसी श्रेणी की है।
इज़रायल की नीति स्पष्ट है: “कोई समझौता नहीं, कोई तुष्टिकरण नहीं। आतंकवाद को खत्म करो, बात नहीं करो।”
भारत को यही नीति अपनाने की आवश्यकता है।
लेकिन दुर्भाग्यवश, हमारे यहां अभी भी ‘कट्टरपंथियों को नाराज़ न करें’ वाली नीति चलती है।
भारत को इज़रायल से क्या सीखना चाहिए:
- सीमाओं की रक्षा में कठोरता: इज़रायल अपने छोटे से क्षेत्र को लेकर भी इतनी सतर्कता रखता है, जितनी भारत ने कश्मीर या मणिपुर में कभी नहीं दिखाई।
- प्रतिकार की स्पष्ट नीति: इज़रायल की नीति है – एक गोली का जवाब दस मिसाइलों से। भारत को भी पाकिस्तानी और आंतरिक आतंकियों पर यही नीति अपनानी चाहिए।
- राजनीति में राष्ट्रहित सर्वोपरि: इज़रायल में वाम या दक्षिण – सब राष्ट्र की रक्षा को सर्वोच्च प्राथमिकता मानते हैं। भारत में तो राजनीति आतंकियों के पक्ष में खड़ी नजर आती है।
- कट्टरपंथ के खिलाफ शून्य सहिष्णुता: इज़रायल कभी यह नहीं कहता कि “ये उनके धर्म का मामला है।” भारत में अभी भी ‘धर्म के नाम पर अपराध’ की छूट मिलती है।
इस्लामिक कट्टरपंथ और आतंकवाद : निष्पक्ष और तथ्यात्मक विश्लेषण
निष्कर्ष: भारत का सच्चा मित्र वही है जो कट्टरपंथ से लड़ता है
जब दुनिया आपको ‘हिंदुत्ववादी’, ‘इस्लामोफोबिक’ कहती है, तब इज़रायल कहता है — “हम तुम्हारे साथ हैं।”
जब पाकिस्तान ‘कश्मीर-कश्मीर’ चिल्लाता है, तो इज़रायल कहता है — “कश्मीर भारत का है।”
जब आतंकवादी भारत में मासूमों का खून बहाते हैं, तब इज़रायल कहता है — “उनका खात्मा करो। हम तुम्हारे साथ हैं।”
इज़रायल भारत का मित्र इसलिए नहीं कि वह मुस्लिमों से नफरत करता है,
बल्कि इसलिए कि वह जिहादी कट्टरपंथ से नफरत करता है।
और भारत को भी अब इस्लामिक वोटबैंक से नहीं, राष्ट्र की सुरक्षा से प्रेम करना सीखना चाहिए।
अब समय है कि भारत इज़रायल की नीति को अपनाए — “पहले राष्ट्र, फिर बाकी सब।”
Disclaimer (अस्वीकृति सूचन)
यह लेख “कट्टरपंथ और आतंकवाद के विरुद्ध भारत का सबसे सच्चा मित्र: इज़रायल” लेखक की स्वतंत्र वैचारिक अभिव्यक्ति है, जो भारत और इज़रायल के बीच के रणनीतिक, सांस्कृतिक और सुरक्षा-नीति संबंधों के ऐतिहासिक और समकालीन पक्षों पर आधारित है।
इस लेख में की गई टिप्पणियाँ किसी विशेष धर्म, समुदाय या राष्ट्र के सामान्य नागरिकों के प्रति विद्वेष या घृणा उत्पन्न करने हेतु नहीं हैं, बल्कि वैश्विक जिहादी कट्टरपंथ और आतंकवाद के संगठित स्वरूप के विरोध में स्पष्ट वैचारिक रुख प्रस्तुत करती हैं।
- यह लेख भारत की राष्ट्रीय सुरक्षा, वैचारिक स्वतंत्रता और रणनीतिक स्वावलंबन के संदर्भ में लिखा गया है।
- इसमें प्रयुक्त उदाहरण और दृष्टिकोण सार्वजनिक रूप से उपलब्ध ऐतिहासिक, कूटनीतिक एवं समाचार-स्रोतों पर आधारित हैं।
- लेखक किसी धर्म, जाति या सम्प्रदाय के विरुद्ध नहीं, केवल कट्टरपंथी विचारधारा और उसकी सहायक संरचनाओं के विरोध में लिख रहा है।
नोट: यह लेख अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता के संवैधानिक अधिकार के अंतर्गत प्रकाशित किया गया है। यदि किसी व्यक्ति, संस्था या समुदाय को कोई आपत्ति हो, तो वह इसे संवाद द्वारा स्पष्ट कर सकता है। किसी भी प्रकार की दुर्भावनापूर्ण व्याख्या से लेखक स्वयं को पृथक करता है।
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