तहव्वुर राणा मामला: 26/11 का साजिशकर्ता या अमेरिकी राजनीति का मोहरा?

26 नवंबर 2008 की रात मुंबई में हुए आतंकी हमलों ने न सिर्फ भारत बल्कि पूरी दुनिया को हिला दिया था। इस हमले में 166 लोगों की जान गई और 300 से अधिक घायल हुए। इस भयावह हमले के पीछे कई नाम सामने आए, जिनमें एक नाम तहव्वुर हुसैन राणा का भी था — एक पाकिस्तानी मूल का कनाडाई नागरिक, जो अमेरिका में डॉक्टर था। क्या वह वास्तव में इस वैश्विक आतंकी साजिश का हिस्सा था, या वह सिर्फ एक राजनीतिक चक्रव्यूह में फंसा मोहरा है?


तहव्वुर राणा: व्यक्ति, पृष्ठभूमि और संपर्क

जन्म: पाकिस्तान, 1961

शिक्षा और पेशा: आर्मी मेडिकल कोर में डॉक्टर, बाद में कनाडा और अमेरिका में मेडिकल इमिग्रेशन सर्विस खोलना

सबसे चर्चित संपर्क: डेविड हेडली (Daood Gilani), जो खुद 26/11 का प्रमुख साजिशकर्ता और पाकिस्तान की ISI व लश्कर-ए-तैयबा से जुड़ा था।

राणा और हेडली 1980 के दशक से दोस्त थे। अमेरिका में साथ रहते हुए उन्होंने बिजनेस शुरू किया, जिससे हेडली को भारत और अन्य देशों में घूमने की सुविधा मिली।


अमेरिका में गिरफ़्तारी और मुकदमा

गिरफ्तारी: 2009 में FBI ने तहव्वुर राणा को शिकागो से गिरफ्तार किया

आरोप: हेडली को लॉजिस्टिक और डॉक्युमेंट समर्थन देना; पाकिस्तान के अखबार Jang के जरिए हेडली को कवर देना

न्यायालय फैसला (2013): आतंकवाद में सीधी भागीदारी के प्रमाण नहीं, लेकिन हेडली की गतिविधियों में सहायता के आरोप सिद्ध हुए

सजा: 14 वर्ष की जेल


भारत की प्रत्यर्पण मांग

भारत सरकार ने 2011 से ही तहव्वुर राणा के प्रत्यर्पण की मांग की थी। लेकिन अमेरिका ने दो बार इनकार किया।

लेकिन अब क्या बदला?

2020 में पुनः गिरफ़्तारी: अमेरिकी कोर्ट में भारत की प्रत्यर्पण अर्जी स्वीकार हुई

2023 में अमेरिकी कोर्ट का निर्णय: तहव्वुर राणा को भारत प्रत्यर्पित किया जा सकता है

2024 में स्थिति: प्रत्यर्पण की प्रक्रिया अंतिम चरण में


भारत के लिए महत्व क्यों?

भारत के लिए यह मामला एक प्रतीक है कि 26/11 का न्याय अधूरा है जब तक अंतर्राष्ट्रीय नेटवर्क और लॉजिस्टिक सहयोगियों को भी न्याय के कटघरे में नहीं लाया जाए।

यह मामला निम्न मुद्दों से भी जुड़ता है:

डिप्लोमैटिक प्रेशर: अमेरिका और भारत की रणनीतिक साझेदारी

ISI और लश्कर की भूमिकाएं: पाकिस्तान की भूमिका को अंतर्राष्ट्रीय मंचों पर उजागर करना

पाकिस्तान की जवाबदेही: राणा और हेडली दोनों पाकिस्तानी मूल के हैं


अमेरिका की राजनीति और दुविधा

अमेरिका के लिए यह मामला दोहरी नीति के केंद्र में है:

हेडली को plea bargain: खुद स्वीकार कर चुका है, लेकिन उसे भारत नहीं सौंपा गया

राणा पर सख्ती: लेकिन उसे “प्राइम साजिशकर्ता” नहीं माना गया

यह अमेरिकी न्यायिक प्रणाली और उसकी रणनीतिक प्राथमिकताओं को भी उजागर करता है।


पाकिस्तान की प्रतिक्रिया

अब तक पाकिस्तान ने इस मामले में औपचारिक तौर पर राणा को ‘अपराधी’ मानने से इनकार किया है। पाकिस्तान की कोशिश इस पूरे मामले को “अमेरिका और भारत की राजनीति” का हिस्सा बताने की रही है।


भारत की रणनीति: सख्ती और संतुलन

भारत ने अंतरराष्ट्रीय मंचों पर यह लगातार दोहराया है कि 26/11 केवल “आतंकी हमला” नहीं बल्कि “राज्य प्रायोजित आतंकवाद” का नमूना था। राणा का प्रत्यर्पण इस रणनीति को और धार देगा।


न्याय, कूटनीति और जटिल सच्चाई

तहव्वुर राणा का मामला कई सवाल छोड़ता है:

  1. क्या वह सच में साजिशकर्ता था, या सिर्फ हेडली का पुराना दोस्त और अनजाने में मददगार?
  2. क्या अमेरिका का रवैया रणनीतिक साझेदारी के बजाय न्याय आधारित है?
  3. क्या भारत को उसके प्रत्यर्पण से नई दिशा मिलेगी या यह एक और प्रतीकात्मक कार्रवाई होगी?

जो निश्चित है: राणा का भारत आना, 26/11 के पीड़ितों के न्याय की दिशा में एक ठोस कदम है, लेकिन असली न्याय तब मिलेगा जब इस हमले के हर छोटे-बड़े सहयोगी को न्यायिक दायरे में लाया जाएगा — चाहे वह पाकिस्तान में हो या अमेरिका में।


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26/11 हमला: साजिश के सूत्र

मनोज चतुर्वेदी शास्त्री

मनोज चतुर्वेदी शास्त्री

पत्रकार, समाजसेवी, आध्यात्मिक मार्गदर्शक एवं लेखक।
समाज निर्माण की दिशा में वैचारिक लेखन और जन-जागरूकता अभियान के माध्यम से सक्रिय।

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मनोज चतुर्वेदी शास्त्री

पत्रकार, समाजसेवी और डिजिटल युग में सामाजिक चेतना के वाहक।

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