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भारत का ‘चिकन नेक’: रणनीतिक महत्व, बांग्लादेश-चीन समीकरण और सुरक्षा पर असर

भारत का चिकन नेक या सिलिगुड़ी कॉरिडोर भारत के उत्तर-पूर्वी राज्यों को देश के शेष हिस्से से जोड़ने वाला एक बेहद संकरा भू-भाग है। यह पश्चिम बंगाल में स्थित है और केवल 20 से 24 किमी चौड़ा है। इस कॉरिडोर के एक ओर नेपाल और भूटान हैं, जबकि दूसरी ओर बांग्लादेश और चीन (तिब्बत) की सीमा स्थित है।


चिकन नेक का भारत के लिए रणनीतिक महत्व

  1. उत्तर-पूर्व भारत का एकमात्र ज़मीनी संपर्क:
    यह कॉरिडोर भारत के 7 पूर्वोत्तर राज्यों (Seven Sisters) को मुख्यभूमि से जोड़ता है। इसके बिना इन राज्यों की आपूर्ति, संचार और सैन्य मूवमेंट ठप हो सकता है।
  2. सैन्य दृष्टिकोण से नाजुक स्थिति:
    अगर यह क्षेत्र किसी सैन्य संघर्ष में बाधित होता है, तो भारत की उत्तर-पूर्वी सुरक्षा संकट में पड़ सकती है। चीन और पाकिस्तान दोनों इस क्षेत्र की भौगोलिक कमजोरी को भली-भांति जानते हैं।
  3. चीन की ‘स्ट्रिंग ऑफ पर्ल्स’ नीति के जवाब में रणनीतिक चौकसी:
    भारत ने इस कॉरिडोर की सुरक्षा बढ़ाने के लिए सड़कों, रेलवे और सुरक्षात्मक बंकरों का विस्तार किया है।

बांग्लादेश और चीन के मधुर संबंध: भारत के लिए चिंता

  1. बांग्लादेश में चीन का बढ़ता निवेश:

चीन बांग्लादेश में इंफ्रास्ट्रक्चर, बंदरगाह (चटगांव), रेलवे और सैन्य उपकरणों में भारी निवेश कर रहा है।

इससे बांग्लादेश का झुकाव चीन की ओर अधिक हुआ है, जो भारत की सुरक्षा नीति के लिए चुनौती है।

  1. बांग्लादेश का रक्षा समझौता चीन से:

दोनों देशों के बीच रक्षात्मक सहयोग लगातार बढ़ रहा है।

यह स्थिति चिकन नेक के समीप भारत की सामरिक तैयारियों को सतर्क करती है।


हालिया घटनाएं और बदले हुए सुर

नेपाल और भूटान में चीनी प्रभाव:
नेपाल में चीन समर्थक बयानों और इंफ्रास्ट्रक्चर परियोजनाओं से भारत की चिंता बढ़ी है।
भूटान भी अब भारत के पारंपरिक प्रभाव क्षेत्र से बाहर की ओर झांकने लगा है।

बांग्लादेश की राजनीतिक दिशा:
हालिया चुनावों के बाद बांग्लादेश में भारत के विरोधी सुर सुनाई दिए हैं।
कुछ मौकों पर भारत समर्थक नीतियों से विचलन देखा गया है।

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भारत का रुख और प्रतिक्रियाएँ

  1. सड़क व सैन्य इंफ्रास्ट्रक्चर मजबूत करना:
    भारत ने तेज़ी से ऑल वेदर रोड्स, बॉर्डर ऑब्ज़र्वेशन पोस्ट्स और हवाई पट्टियों का विस्तार किया है।
  2. बांग्लादेश के साथ संबंधों को पुनर्संतुलित करना:
    भारत ने पानी, सीमा सुरक्षा, आर्थिक साझेदारी जैसे विषयों पर सक्रिय वार्ताएं बढ़ाई हैं।
  3. QUAD और ASEAN के साथ रणनीतिक समन्वय:
    भारत अमेरिका, जापान और ऑस्ट्रेलिया जैसे देशों के साथ सहयोग बढ़ाकर इस भू-रणनीतिक दबाव को संतुलित कर रहा है।

हमारी राय

भारत का ‘चिकन नेक’ एक भौगोलिक संकुचन नहीं, बल्कि एक रणनीतिक जीवनरेखा है। इसकी सुरक्षा केवल सैन्य तैनाती से नहीं, बल्कि राजनयिक संतुलन, पड़ोसी देशों में सकारात्मक प्रभाव, और स्थानीय विकास योजनाओं से सुनिश्चित की जा सकती है।
बांग्लादेश और चीन के समीकरण में बदलाव भारत के लिए एक चेतावनी है, लेकिन भारत की सतर्क कूटनीति और रणनीतिक तैयारी इसे संतुलित करने में सक्षम प्रतीत हो रही है।

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