रुसी -चीनी संबंध : क्या भारत को रूस पर भरोसा करना चाहिए ?

russia-china-freindship-india-belive

फ्रांस के साथ हालिया रक्षा और कूटनीतिक तनाव के बाद भारत की विदेश नीति एक नये मोड़ पर खड़ी है। ऐसे में यह प्रश्न मौजूं हो जाता है कि क्या भारत को रूस पर भरोसा करना चाहिए, जबकि रूस खुद चीन के साथ अपने रणनीतिक रिश्ते और मजबूत कर रहा है?


फ्रांस: साझेदार या रणनीतिक धोखा?

  • भारत और फ्रांस के बीच राफेल डील एक समय की ऐतिहासिक डिफेंस डील मानी गई थी।
  • लेकिन हाल के घटनाक्रम—जैसे संयुक्त राष्ट्र में भारत समर्थक प्रस्तावों पर चुप्पी, इंडो-पैसिफिक में निष्क्रियता—भारत में फ्रांस की विश्वसनीयता पर सवाल उठाते हैं।
  • इसके अतिरिक्त, AUKUS समझौते में फ्रांस की नाराजगी और भारत की उदासीनता ने दोनों देशों के बीच अविश्वास की दीवार खड़ी की है ।

भारत का रूस पर भरोसा

  • भारत और रूस का सैन्य संबंध दशकों पुराना है—S-400 मिसाइल से लेकर ब्रह्मोस तक।
  • लेकिन यूक्रेन युद्ध के बाद रूस पर पश्चिमी प्रतिबंधों के कारण वह चीन के और करीब गया है।
  • ब्रिक्स, शंघाई सहयोग संगठन और रूसी ऊर्जा नीति में चीन की सक्रियता भारत के लिए चिंता का विषय बन गई है।

चीन के समीप जाता रूस: भारत के लिए खतरे की घंटी?

  • रूस और चीन के बीच 2024-25 में व्यापार $200 बिलियन के पार पहुँच चुका है।
  • दोनों देशों के संयुक्त सैन्य अभ्यासों में तेजी आई है।
  • 2024 के SCO शिखर सम्मेलन में चीन और रूस द्वारा भारत के विरोध में साझा बयान जारी किया गया था।
  • BRICS की नई मुद्रा पहल में भी भारत की आपत्तियों को नजरअंदाज किया गया।

विशेष उद्धरण:

“रूस की चीन के साथ निकटता भारत के लिए कूटनीतिक संतुलन की चुनौती है।” — डॉ. एस. जयशंकर, विदेश मंत्री, भारत।


भारत की ऊर्जा सुरक्षा और रूस की भूमिका

  • रूस भारत का दूसरा सबसे बड़ा तेल आपूर्तिकर्ता बन चुका है।
  • परंतु, यूरोपीय बाजार से बाहर होने के कारण रूस अपनी ऊर्जा बिक्री के लिए चीन पर अधिक निर्भर हो गया है।
  • भारत को ऊर्जा संबंधों में रूस की अनिश्चितता का विकल्प खोजना होगा (जैसे: UAE, सऊदी अरब, अमेरिका)।

तुलनात्मक विश्लेषण: भारत के विकल्प

बिंदुरूसफ्रांसअमेरिका/इजराइल
सामरिक निर्भरताउच्चमध्यमबढ़ती हुई
चीन के प्रभाव मेंबहुत अधिककमन्यूनतम
तकनीकी सहयोगपारंपरिक/पुरानाआधुनिकअत्याधुनिक
राजनीतिक स्थिरतासीमितअपेक्षाकृत बेहतरविश्वसनीय

निष्कर्ष:

भारत को न तो रूस पर आँख मूंदकर भरोसा करना चाहिए, और न ही फ्रांस की रणनीतिक अस्थिरता को नजरअंदाज करना चाहिए। आज भारत को एक आत्मनिर्भर, संतुलित और बहुपक्षीय विदेश नीति” अपनानी चाहिए, जो रणनीति के हर मोर्चे पर उसे स्वतंत्र और प्रभावशाली बनाए।


🗣 आपकी राय हमारे लिए बेहद महत्वपूर्ण है!

आपकी दृष्टि में इस विषय का क्या निष्कर्ष निकलता है? कृपया हमें अपनी राय ज़रूर बताएं। यह हमारे लिए मार्गदर्शन का कार्य करेगी।

अपने सुझाव और टिप्पणियाँ सीधे हमें WhatsApp पर भेजना न भूलें। Whatsapp पर भेजने के लिए नीचे बटन पर क्लिक करें-

Whatsapp
Scroll to Top