भारत के कुछ राज्यों में मदरसों में ऑपरेशन सिन्दूर की पढ़ाई चर्चा का विषय बनी हुई है. धार्मिक अल्पसंख्यकों के लिए शिक्षा का सबसे पुराना माध्यम — मदरसे — आज नई वैचारिक जकड़ में हैं। हाल ही में उत्तराखंड और राजस्थान की सरकारों द्वारा मदरसों में ‘ऑपरेशन सिंदूर’ को पढ़ाए जाने की घोषणा, RSS की दीर्घकालिक रणनीति, और विपक्षी दलों की तीखी प्रतिक्रियाओं ने इस पूरे विषय को राष्ट्रीय बहस का केंद्र बना दिया है।
क्या है ऑपरेशन सिंदूर?
2025 के अप्रैल माह में जम्मू-कश्मीर के पहलगाम क्षेत्र में हुए आतंकी हमले में हिंदू तीर्थयात्रियों को निशाना बनाया गया। इसके प्रतिशोध में भारत सरकार ने ‘ऑपरेशन सिंदूर’ नामक सैन्य कार्रवाई को अंजाम दिया, जिसमें पाकिस्तान के कब्जे वाले कश्मीर (PoK) में स्थित आतंकी ठिकानों पर लक्षित हमले किए गए।
उत्तराखंड सरकार ने अब इस ऑपरेशन को मदरसा पाठ्यक्रम में शामिल करने का निर्णय लिया है, जिससे मुस्लिम छात्रों में देशभक्ति की भावना बढ़ाई जा सके। यह निर्णय नीति के स्तर पर किया गया है और उत्तराखंड मदरसा बोर्ड के अध्यक्ष मुफ्ती शामून कासमी ने स्वयं इसकी पुष्टि की है।
RSS की दीर्घकालिक रणनीति — “धार्मिक समन्वय या वैचारिक अधिग्रहण?”
राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) की दृष्टि के अनुसार, भारत की सांस्कृतिक एकता को तभी सुदृढ़ किया जा सकता है जब देश का प्रत्येक नागरिक — चाहे वह किसी भी धर्म का हो — भारतीय राष्ट्रवाद को स्वीकार करे।
प्रमुख पहलू:
- मदरसा शिक्षा का मुख्यधारा में समावेश:गणित, विज्ञान, इतिहास और नागरिक शास्त्र जैसे विषयों को धार्मिक पाठ्यक्रम के साथ जोड़ना।
- राष्ट्रवादी सामग्री का समावेश:वीररस से भरी घटनाएं, सेना के पराक्रम, राष्ट्रपर्वों का उल्लेख — जैसे ऑपरेशन सिंदूर, कर्नल सोफिया कुरैशी आदि।
- “मुस्लिम राष्ट्रीय मंच” और सहप्रयास:संघ ने वर्षों से मुस्लिम समुदाय में ‘भारतीय मुसलमान’ की अवधारणा को फैलाने हेतु यह मंच सक्रिय किया है। इसमें RSS यह कहता है कि भारत का मुसलमान “ख़ुद को इस्लामिक राष्ट्रों की बजाय भारत के गौरव से जोड़े।”
“हम मुसलमानों को दुश्मन नहीं मानते, हम चाहते हैं कि वे राष्ट्र की मुख्यधारा में आयें।”
— मोहन भागवत, RSS प्रमुख
कांग्रेस और समाजवादी पार्टी की भूमिका
कांग्रेस:
- संवैधानिक दृष्टिकोण से:मदरसों की धार्मिक स्वायत्तता और धर्मनिरपेक्ष मूल्यों की रक्षा कांग्रेस का पारंपरिक रुख रहा है।
- वर्तमान प्रतिक्रिया:कांग्रेस नेताओं ने ऑपरेशन सिंदूर को पाठ्यक्रम में जोड़ने को “धार्मिक शिक्षा के राजनीतिकरण का प्रयास” कहा है। साथ ही इसे “संवैधानिक मूल्यों पर कुठाराघात ” बताया है।
समाजवादी पार्टी (SP):
- उत्तर प्रदेश में SP ने बार-बार मदरसों की स्वायत्तता और संवेदनशीलता को मुद्दा बनाया है।
- अखिलेश यादव ने इस निर्णय पर प्रतिक्रिया देते हुए कथिततौर पर कहा है –
“भाजपा को अगर सैनिकों की वीरता दिखानी है तो सरकारी स्कूलों में पढ़ाओ। मदरसों में धर्म और शिक्षा का संतुलन बिगाड़ा जा रहा है।”
क्या यह केवल शिक्षा नीति है या राजनीतिक परियोजना?
आलोचना के प्रमुख आधार:
- मदरसों की पहचान को राष्ट्रीय सुरक्षा और वैचारिक दृष्टिकोण से परिभाषित करना।
- धार्मिक स्वतंत्रता बनाम राष्ट्रवादी पाठ्यक्रम की बहस।
- मुस्लिम युवाओं को “संशोधित भारतीय मुसलमान” बनाने का प्रयास?
संभावित परिणाम:
- मुस्लिम समुदाय में असंतोष व वैचारिक प्रतिरोध।
- भाजपा के लिए राष्ट्रवादी वोटबैंक का और सुदृढ़ीकरण।
- विपक्षी दलों के लिए अल्पसंख्यकों का समर्थन बनाए रखने की नई चुनौती।
हमारी राय
मदरसों में ऑपरेशन सिन्दूर की पढ़ाई, RSS का मदरसों के प्रति दृष्टिकोण एक दीर्घकालिक वैचारिक परियोजना का संकेत देता है, जो ‘शिक्षा के सहारे राष्ट्र निर्माण’ के नाम पर धार्मिक संस्थानों की वैचारिक पुनःपरिभाषा करने का प्रयास है। इसके बरक्स, कांग्रेस और समाजवादी पार्टी जैसे दलों के सामने अब यह चुनौती है कि वे अपनी धर्मनिरपेक्षता की अवधारणा को नया राजनीतिक आधार दें। मदरसों को राष्ट्रवाद के दायरे में लाने की यह कोशिश केवल शैक्षिक नहीं, बल्कि वैचारिक सत्ता का संघर्ष है। जहां एक ओर RSS इसे भारतीयता का विस्तार मानता है, वहीं विपक्ष इसे धर्मनिरपेक्ष भारत की आत्मा पर हमला बता रहा है।

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