World Affairs & Diplomacy

world diplomacy : From diplomatic maneuvers to global power shifts, this section explores how international events impact nations, identities, and futures. Here, we go beyond headlines to decode the hidden patterns in global politics, war strategies, treaties, and foreign policy debates.

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ब्राह्मण बनाम जातिवादी विमर्श : चुनौतियां और समाधान

जातीय जनगणना की मांग के बाद ब्राह्मण बनाम जातिवादी विमर्श का यह मुद्दा बहुत गंभीर है. हिन्दू धर्म में ब्राह्मणों को न केवल ज्ञान का संरक्षक माना गया, बल्कि समाज का नैतिक मार्गदर्शक भी। वेदों के रचयिता, शास्त्रों के व्याख्याकार, यज्ञ आचार्य और गुरुकुलों के प्रधान के रूप में उनकी भूमिका निर्विवाद रही है। परंतु […]

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जातीय जनगणना 2025: सामाजिक न्याय या जातिवाद की नई राजनीति?

2025 में केंद्र सरकार द्वारा जातीय जनगणना को मंजूरी दिए जाने का निर्णय एक नए सामाजिक-राजनीतिक युग की शुरुआत है। जहां एक ओर इससे पिछड़े वर्गों को न्याय मिलने की उम्मीद है, वहीं दूसरी ओर यह जाति आधारित राजनीति को हवा देने का खतरा भी बन सकता है। 1. जातीय जनगणना क्या है? जातीय जनगणना

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Syed Adil Hussain Shah, the brave Muslim who fought terrorists in Pahalgam 2025.

मजहबी आतंकवाद : क्या इस मुस्लिम युवक की शौर्य गाथा TRP में फिट नहीं बैठती?

मजहबी आतंकवाद : क्या इस मुस्लिम युवक की शौर्य गाथा TRP में फिट नहीं बैठती? 22 अप्रैल 2025 की तारीख इतिहास में पहलगाम के नरसंहार के रूप में दर्ज हुई। आतंकवादियों ने टूरिस्टों को बंधक बनाकर इस्लामी कलमा पढ़ने के लिए बाध्य किया और जो न बोल सके उन्हें बेरहमी से मार डाला। परंतु एक

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नेहा सिंह राठौर विवाद: अभिव्यक्ति की आड़ में राष्ट्र विरोध का सच

पहलगाम घटना के पश्चात भारत आज केवल बाहरी खतरों से नहीं, बल्कि आंतरिक वैचारिक विषाक्तता से भी जूझ रहा है. नेहा सिंह राठौर विवाद के पश्चात यह प्रश्न उठ रहा है- -क्या अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता के नाम पर राष्ट्र की गरिमा को ठेस पहुँचाने वाले कृत्य बढ़ते जा रहे हैं। -सस्ती लोकप्रियता की लालसा में,

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Modi Government Policies and Minority Rights in India - A Constitutional and Practical Analysis

मोदी सरकार की नीतियां कितनी व्यावहारिक हैं? एक संतुलित मूल्यांकन

भारतीय लोकतंत्र विविधता में एकता का अद्भुत उदाहरण है। प्रत्येक सरकार का दायित्व होता है कि वह इस विविधता को सम्मान दे. वह समावेशिता को बढ़ावा दे और सभी नागरिकों के संवैधानिक अधिकारों की रक्षा करे। इसी परिप्रेक्ष्य में यह समीक्षा की जा रही है कि मोदी सरकार की नीतियां कितनी व्यावहारिक हैं. मोदी सरकार

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Brahmin sages contributing to Indian society and scriptures

ब्राह्मण: शाब्दिक अर्थ, ऐतिहासिक भूमिका और योगदान

भारत की संस्कृति में ‘ब्राह्मण’ का शाब्दिक अर्थ, ऐतिहासिक भूमिका, भगवान परशुराम और अन्य ब्राह्मण महापुरुषों का योगदान, और समाज में ब्राह्मण की स्थिति पर गहन विश्लेषण। “ब्राह्मण” केवल एक जाति नहीं, बल्कि एक विचारधारा, एक दायित्व और एक आत्मिक चेतना है। आज जब जातीय विमर्श में ब्राह्मण समाज पर बहस होती है, तब यह

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Iran mediation and India's strategic caution

पहलगाम प्रतिशोध : क्या भारत को ईरान की मध्यस्थता स्वीकार करनी चाहिए

भारत एक प्राचीन सभ्यता और आधुनिक लोकतंत्र है, जो अपनी विदेश नीति में रणनीतिक स्वायत्तता को सर्वोपरि मानता है। आज जब पश्चिम एशिया का भू-राजनीतिक परिदृश्य बदल रहा है, और ईरान जैसी शक्तियाँ “मध्यस्थता” की भूमिका निभाने का प्रस्ताव दे रही हैं, तब एक गंभीर प्रश्न उठता है —क्या भारत को ईरान की मध्यस्थता स्वीकार

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Pahalgam attack,Modi response vs historical Indian leaders

पहलगाम प्रतिशोध बनाम मोदी सरकार : आक्रोश या अभिनय ?

पाकिस्तान प्रायोजित आतंकवाद की आग में एक बार फिर निर्दोष भारतीय नागरिक झुलस गए—इस बार जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में। जहाँ एक ओर आम भारतीय का आक्रोश आसमान छू रहा है, वहीं दूसरी ओर केंद्र सरकार एक बार फिर वही घिसा-पिटा राग अलाप रही है—”कड़ी निंदा”, “दोषियों को बख्शा नहीं जाएगा”, “सर्जिकल स्ट्राइक के विकल्प खुले

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पहलगाम नरसंहार के लिए क्या संपूर्ण भारतीय मुस्लिम समाज को दोषी ठहराना उचित है?

22 अप्रैल 2025 को जम्मू-कश्मीर के पहलगाम क्षेत्र में अमरनाथ यात्रियों के काफ़िले पर हुए निर्मम आतंकी हमले ने पूरे देश को झकझोर दिया। यह “पहलगाम नरसंहार” न केवल एक आतंकवादी कृत्य है, बल्कि यह भारत की राष्ट्रीय अस्मिता, धार्मिक सहिष्णुता और नागरिक सुरक्षा के लिए एक गंभीर चुनौती है। लेकिन इस घटना के बाद

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